अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा और व्यापार पर सख्त रुख अपनाते हुए सभी नाटो देशों से रूसी तेल की खरीद तुरंत बंद करने की अपील की है। उन्होंने चेतावनी दी कि रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर कड़े कदम उठाए जाएंगे।
ट्रंप ने कहा कि रूसी तेल की खरीद सीधे-सीधे मॉस्को को आर्थिक सहारा देने के बराबर है, जो पश्चिमी देशों की सुरक्षा और हितों के खिलाफ है। उन्होंने यह भी दावा किया कि यदि नाटो देश रूस पर निर्भर रहेंगे, तो यह गठबंधन की कमजोरी और आंतरिक मतभेदों को उजागर करेगा।
इसके अलावा, ट्रंप ने चीन को लेकर भी बेहद आक्रामक बयान दिया। उन्होंने धमकी दी कि यदि चीन के साथ व्यापारिक असंतुलन जारी रहा, तो अमेरिका उसकी वस्तुओं पर 50% से 100% तक का टैरिफ लगा सकता है। उनके अनुसार, इससे अमेरिकी उद्योगों और श्रमिकों को सुरक्षा मिलेगी और चीन को अनुचित व्यापार नीति छोड़ने पर मजबूर होना पड़ेगा।
और पढ़ें: पोलैंड ने ट्रंप के गलती वाले दावे को खारिज किया, रूसी ड्रोन घुसपैठ पर कड़ा रुख
ट्रंप की यह टिप्पणी उनके पहले दिए गए बयानों की ही कड़ी है, जिसमें उन्होंने रूस पर कड़े प्रतिबंध और रूस का तेल खरीदने वाले देशों पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान न केवल नाटो देशों पर दबाव बढ़ाता है, बल्कि अमेरिका-चीन व्यापारिक तनाव को भी नई ऊंचाई पर ले जा सकता है।
ट्रंप की सख्त भाषा ने वैश्विक ऊर्जा और व्यापार बाजारों में हलचल मचा दी है और आने वाले दिनों में इसके दूरगामी राजनीतिक और आर्थिक असर देखने को मिल सकते हैं।
और पढ़ें: रूसी तेल पर शुल्क लगाने से भारत से रिश्तों में दरार: ट्रंप