अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने कोलोराडो राज्य में एलजीबीटी समुदाय से संबंधित ‘कन्वर्ज़न थेरेपी’ (Conversion Therapy) पर लगे प्रतिबंध को लेकर संदेह जताया है। अदालत ने इस मामले में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान यह संकेत दिया कि यह प्रतिबंध अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Free Speech) से जुड़े संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है।
दरअसल, कोलोराडो राज्य में एक थेरेपिस्ट ने यह दलील दी है कि राज्य द्वारा कन्वर्ज़न थेरेपी पर लगाया गया प्रतिबंध उनके पेशेवर अभिव्यक्ति के अधिकार को सीमित करता है। उन्होंने कहा कि यह कानून उन्हें उन क्लाइंट्स से चर्चा करने से रोकता है जो अपनी लैंगिक पहचान या यौन रुझान को बदलने की इच्छा रखते हैं। वहीं, राज्य सरकार का कहना है कि यह प्रतिबंध वैज्ञानिक रूप से अस्वीकार्य और मानसिक रूप से हानिकारक प्रथाओं को रोकने के लिए आवश्यक है, जो एलजीबीटी समुदाय के युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट के कुछ न्यायाधीशों ने सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि क्या सरकार को इस हद तक नियंत्रित करने का अधिकार होना चाहिए कि वह थेरेपिस्ट्स को किसी विशेष विषय पर बोलने या सलाह देने से रोक सके। यह मामला अब अमेरिका में ‘फ्री स्पीच बनाम सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा’ की बहस को दोबारा केंद्र में ला रहा है।
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गौरतलब है कि वर्तमान में अमेरिका के 25 से अधिक राज्यों में कन्वर्ज़न थेरेपी पर आंशिक या पूर्ण प्रतिबंध लागू है। अदालत का निर्णय आने वाले महीनों में इस मुद्दे पर राष्ट्रीय नीति को प्रभावित कर सकता है।
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