केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा है कि वायनाड में हुए भूस्खलनों के बाद केंद्र को राज्य के प्रति किए गए अन्याय और उपेक्षा को तुरंत समाप्त करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्य ने आपदा के तुरंत बाद ही आपातकालीन सहायता के लिए अनुरोध किया था, लेकिन अब तक केंद्र ने कोई राहत प्रदान नहीं की है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि भूस्खलन की प्रारंभिक समीक्षा के बाद केरल सरकार ने ₹1,202.12 करोड़ की आपातकालीन सहायता की मांग की थी। यह घटना एक साल और दो महीने पहले हुई थी, लेकिन इस अवधि में केंद्र से कोई वित्तीय सहायता राज्य को नहीं मिली।
पिनाराई विजयन ने कहा कि वायनाड के भूस्खलन ने न केवल जनजीवन और संपत्ति को बुरी तरह प्रभावित किया, बल्कि किसानों और स्थानीय समुदायों की आजीविका पर भी गंभीर असर डाला है। उन्होंने केंद्र से अनुरोध किया कि राज्य को तुरंत आपातकालीन राहत राशि जारी की जाए ताकि प्रभावित लोगों की समस्याओं का समाधान हो सके।
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मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन के तहत सभी तैयारियां और आंकलन कर लिए हैं और राहत वितरण के लिए पूरी तरह सक्षम है। अब केवल केंद्र से सहयोग की आवश्यकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि केरल सरकार की मांग और केंद्र की अनदेखी के बीच चल रहा यह गतिरोध आपदा प्रबंधन और न्याय वितरण में देरी की गंभीर चुनौती पेश करता है।
केरल में वायनाड भूस्खलन ने यह साबित कर दिया है कि प्राकृतिक आपदाओं में समय पर वित्तीय और प्रशासनिक सहायता का महत्व कितना बड़ा है।
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