नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की ताज़ा रिपोर्ट ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं। वर्ष 2023 में देशभर में कुल 207 एसिड अटैक के मामले दर्ज किए गए, जिनमें से अकेले पश्चिम बंगाल में 57 मामले सामने आए। इसका मतलब है कि देशभर में हुए कुल एसिड हमलों का 27.5 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ पश्चिम बंगाल से संबंधित है। यह आंकड़ा इस राज्य को एसिड अटैक मामलों में देश में शीर्ष पर रखता है।
रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल में लगातार ऐसे अपराधों में बढ़ोतरी चिंता का विषय है। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 326A के तहत एसिड अटैक के मामलों को गंभीर अपराध माना जाता है और इसके लिए कड़ी सज़ा का प्रावधान है।
हालांकि, महिलाओं के खिलाफ अन्य अपराधों में पिछले वर्ष की तुलना में मामूली गिरावट देखी गई है। दुष्कर्म, घरेलू हिंसा, उत्पीड़न और अन्य मामलों में थोड़ी कमी आई है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह कमी बहुत सीमित है और महिलाओं की सुरक्षा की दिशा में अभी भी लंबा सफर तय करना बाकी है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि एसिड हमले पीड़िता के जीवन को हमेशा के लिए प्रभावित कर देते हैं। इस अपराध में न केवल शारीरिक क्षति होती है, बल्कि पीड़िता मानसिक और सामाजिक रूप से भी लंबे समय तक संघर्ष करती है। ऐसे में जरूरी है कि सरकार और समाज मिलकर कड़े कदम उठाएं और पीड़िताओं को न्याय और पुनर्वास की बेहतर सुविधा दी जाए।
एनसीआरबी की इस रिपोर्ट ने एक बार फिर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पश्चिम बंगाल सरकार से लेकर केंद्र तक अब इस दिशा में ठोस कार्यवाही की अपेक्षा की जा रही है।
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