ज़ेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत ने अपने करियर की शुरुआती यादों को साझा करते हुए बताया कि उनकी पहली नौकरी बेंगलुरु के एक कॉल सेंटर में थी। शुरुआती 2000 के दशक में उन्होंने यहां नाइट शिफ्ट की और बेहद मामूली वेतन पर काम किया।
कामत ने खुलासा किया कि उस समय उनकी सालाना कमाई मात्र 1,000 अमेरिकी डॉलर थी, जो मौजूदा समय के हिसाब से लगभग 88,000 रुपये होती है। उन्होंने कहा कि नौकरी का अनुभव चुनौतीपूर्ण जरूर था, लेकिन इसने उन्हें अनुशासन, समय प्रबंधन और पेशेवर जीवन के शुरुआती सबक सिखाए।
निखिल कामत का कहना है कि कॉल सेंटर में काम करना आसान नहीं था। लगातार रात की शिफ्ट में काम करने से जीवनशैली और स्वास्थ्य पर असर पड़ता था, लेकिन इस अनुभव ने उन्हें कठिन परिस्थितियों में काम करना सिखाया। यही जज़्बा आगे चलकर उनके उद्यमी सफर में बेहद कारगर साबित हुआ।
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आज निखिल कामत भारत के सबसे सफल युवा उद्यमियों में गिने जाते हैं। ज़ेरोधा, जिसे उन्होंने अपने भाई नितिन कामत के साथ स्थापित किया, देश की सबसे बड़ी स्टॉकब्रोकिंग कंपनी बन चुकी है। कामत का मानना है कि शुरुआती संघर्ष और छोटे पैमाने पर काम करने का अनुभव जीवन में बड़ा बदलाव लाता है और वही अनुभव आगे जाकर सफलता की नींव बनते हैं।
उनकी यह कहानी इस बात की प्रेरणा देती है कि मामूली शुरुआत से भी बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है, बशर्ते लगन और मेहनत से काम किया जाए।
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