2023 से भारत ने इंटरनेट पर निगरानी और नियंत्रण को मजबूत करते हुए कई नए कदम उठाए हैं। सरकार ने अधिक अधिकारियों को ऑनलाइन कंटेंट हटाने (टेकडाउन) के आदेश जारी करने का अधिकार दिया है और उन्हें सीधे तकनीकी कंपनियों तक ऐसे आदेश सरकारी वेबसाइट के माध्यम से भेजने की सुविधा भी प्रदान की है।
इस नीति के तहत सोशल मीडिया और टेक कंपनियों पर दबाव बढ़ गया है कि वे सरकार द्वारा आपत्तिजनक या संवेदनशील माने गए कंटेंट को तुरंत हटाएं। एलन मस्क की कंपनी एक्स (पूर्व में ट्विटर) ने बार-बार कहा है कि वह भारत सरकार के सेंसरशिप आदेशों का पालन करने के लिए मजबूर है, अन्यथा उन्हें देश में काम करने से प्रतिबंधित किया जा सकता है।
मस्क ने खुले तौर पर इस मुद्दे पर चिंता जताई है और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि भारत में टेक कंपनियों को सरकार के निर्देशों का पालन करना पड़ता है, भले ही वे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार अनुचित हों।
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दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का तर्क है कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और सांप्रदायिक हिंसा रोकने के लिए आवश्यक है। अधिकारियों का कहना है कि फर्जी खबरें और ऑनलाइन नफरत फैलाने वाले संदेश देश की शांति भंग कर सकते हैं, इसलिए सख्त निगरानी जरूरी है।
टेक विशेषज्ञों का मानना है कि यह संघर्ष भारत में डिजिटल स्वतंत्रता और सरकारी नियंत्रण के बीच बढ़ते टकराव को उजागर करता है। आने वाले समय में यह विवाद यह तय कर सकता है कि वैश्विक टेक कंपनियां भारत में किस हद तक स्वतंत्र रूप से काम कर पाएंगी।
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