कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच ओपनएआई ने अपने कर्मचारियों के लिए एक बड़ा नीतिगत बदलाव किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, ओपनएआई ने नए कर्मचारियों पर लागू होने वाली इक्विटी “वेस्टिंग क्लिफ” शर्त को समाप्त कर दिया है। इस फैसले के तहत अब कर्मचारियों को अपनी इक्विटी पाने के लिए छह महीने तक इंतजार नहीं करना होगा।
The Indian Witness की रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब ओपनएआई को गूगल और अन्य तकनीकी दिग्गजों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है और कंपनी एक तरह की “कोड रेड” स्थिति में है। माना जा रहा है कि इस बदलाव का उद्देश्य कंपनी के भीतर नवाचार को बढ़ावा देना और प्रतिभाशाली एआई विशेषज्ञों को लंबे समय तक बनाए रखना है।
अब तक की व्यवस्था में, यदि कोई कर्मचारी तय समय से पहले कंपनी छोड़ देता या उसे हटा दिया जाता, तो उसे पहली इक्विटी हासिल करने का मौका नहीं मिलता था। नई नीति के बाद, कर्मचारियों को यह चिंता नहीं रहेगी कि जोखिम लेने या नए विचारों पर काम करने से उनकी नौकरी और इक्विटी पर असर पड़ेगा। इससे वे अधिक स्वतंत्रता के साथ प्रयोग और नवाचार कर सकेंगे।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि यह घोषणा ओपनएआई की चीफ ऑफ एप्लिकेशंस फिजी सिमो द्वारा कर्मचारियों को दी गई। उन्होंने बताया कि कंपनी चाहती है कि कर्मचारी बिना किसी दबाव के साहसिक फैसले लें और एआई के क्षेत्र में नई संभावनाओं को तलाशें।
ओपनएआई, जो चैटजीपीटी जैसे लोकप्रिय एआई टूल के लिए जानी जाती है, को लगभग 500 अरब डॉलर मूल्य की एआई कंपनी माना जा रहा है। ऐसे में प्रतिभाशाली कर्मचारियों को आकर्षित करना और उन्हें बनाए रखना कंपनी की प्राथमिकता बन गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला न केवल ओपनएआई की आंतरिक संस्कृति को मजबूत करेगा, बल्कि एआई उद्योग में प्रतिभा को लेकर चल रही होड़ को भी और तेज करेगा।
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