अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने बड़ी कंपनियों में विविधता (डाइवर्सिटी), समानता और समावेशन (DEI) से जुड़ी नीतियों को लेकर जांच शुरू कर दी है। The Indian Witness की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी न्याय विभाग ने गूगल और वेरिज़ॉन समेत कई प्रमुख कंपनियों से उनके कार्यस्थल कार्यक्रमों से जुड़े दस्तावेज़ और विस्तृत जानकारी मांगी है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि ये जांच नियुक्ति और पदोन्नति प्रक्रियाओं में विविधता पहलों के इस्तेमाल को लेकर की जा रही है। न्याय विभाग ने यह कदम उन कार्यक्रमों पर बढ़ती चिंता के बीच उठाया है, जिन्हें ट्रंप प्रशासन संघीय नियमों और कानूनों के खिलाफ मानता है।
The Indian Witness के अनुसार, गूगल और वेरिज़ॉन उन कंपनियों की सूची में शामिल हैं जिन्हें न्याय विभाग की ओर से औपचारिक मांग पत्र भेजे गए हैं। इन पत्रों में कंपनियों से उनके मानव संसाधन, नियुक्ति, पदोन्नति और विविधता से जुड़े कार्यक्रमों की जानकारी मांगी गई है। इस जांच के दायरे में ऑटोमोबाइल, दवा, रक्षा और यूटिलिटी जैसे विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियां भी शामिल हैं। कुछ कंपनियों ने इस संबंध में न्याय विभाग के अधिकारियों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात भी की है।
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बताया गया है कि यह जांच ‘फॉल्स क्लेम्स एक्ट’ के तहत की जा रही है। यह एक संघीय नागरिक कानून है, जो सरकार को धोखाधड़ी के कारण हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई करने का अधिकार देता है। यदि किसी कंपनी पर इस कानून के उल्लंघन का आरोप सिद्ध होता है, तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
पद संभालने के तुरंत बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघीय एजेंसियों में DEI कार्यक्रमों को समाप्त करने के निर्देश दिए थे। इसके साथ ही निजी क्षेत्र और शिक्षा संस्थानों में भी ऐसे कार्यक्रमों को हतोत्साहित किया गया। ट्रंप प्रशासन ने कई संघीय एजेंसियों में विविधता अधिकारियों को हटाने और विभिन्न कार्यक्रमों के लिए मिलने वाली अनुदान राशि रोकने जैसे कदम उठाए थे।
फिलहाल, गूगल, वेरिज़ॉन और अमेरिकी न्याय विभाग की ओर से इस रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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