कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित डेटा सेंटरों की तेजी से बढ़ती बिजली मांग के कारण अमेरिका में पुराने और अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले ‘पीकर’ पावर प्लांट्स को दोबारा चालू किया जा रहा है। शिकागो के पिल्सन इलाके में स्थित फिस्क पावर प्लांट इसका बड़ा उदाहरण है। यह तेल से चलने वाला पावर प्लांट अगले वर्ष बंद होने वाला था, लेकिन AI डेटा सेंटरों की बढ़ती बिजली जरूरतों ने इसे फिर से लाभदायक बना दिया।
अमेरिका के सबसे बड़े पावर ग्रिड PJM इंटरकनेक्शन में बिजली की मांग अचानक बढ़ गई है, क्योंकि बड़े टेक्नोलॉजी निवेशों से जुड़े डेटा सेंटर मौजूदा आपूर्ति से ज्यादा बिजली मांग रहे हैं। इससे बिजली की कीमतों में भारी उछाल आया और ऐसे पीकर प्लांट्स को बनाए रखना आर्थिक रूप से फायदेमंद हो गया।
पीकर पावर प्लांट्स आमतौर पर केवल आपात स्थिति या अचानक बढ़ी मांग के समय थोड़े समय के लिए चलाए जाते हैं, ताकि ब्लैकआउट से बचा जा सके। लेकिन ये दशकों पुराने प्लांट अधिक प्रदूषण फैलाते हैं और बिजली उत्पादन की लागत भी ज्यादा होती है। कई पीकर प्लांट्स में आधुनिक प्रदूषण नियंत्रण तकनीक नहीं होती, जिससे सल्फर डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसों का उत्सर्जन बढ़ जाता है।
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रॉयटर्स के विश्लेषण के अनुसार, PJM क्षेत्र में सेवानिवृत्त होने वाले लगभग 60% तेल, गैस और कोयला आधारित पावर प्लांट्स ने इस साल अपने बंद होने के फैसले को टाल दिया या रद्द कर दिया। इनमें से अधिकांश पीकर यूनिट्स हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन प्लांट्स का लंबे समय तक चलना कम आय वाले और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए गंभीर पर्यावरणीय खतरा बन सकता है, क्योंकि ऐसे इलाके पहले से ही प्रदूषण का बोझ झेल रहे हैं। हालांकि ऊर्जा कंपनियां और ग्रिड संचालक मानते हैं कि मौजूदा हालात में बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए पीकर प्लांट्स जरूरी हैं, लेकिन पर्यावरण संगठनों का तर्क है कि बेहतर ट्रांसमिशन लाइनों और बैटरी स्टोरेज जैसे स्वच्छ विकल्पों में निवेश किया जाना चाहिए।
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