भारत में शिक्षा का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है और इस परिवर्तन के केंद्र में है कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)। स्कूलों और विश्वविद्यालयों में अब शिक्षक और छात्र दोनों ही एआई-आधारित टूल्स का उपयोग कर रहे हैं — चाहे वह ChatGPT के माध्यम से असाइनमेंट तैयार करना हो, या NVIDIA जैसी कंपनियों द्वारा विकसित शिक्षण सॉफ्टवेयर का उपयोग।
भारत सरकार की India AI Mission का उद्देश्य एक ऐसा विश्वसनीय और समावेशी एआई पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना है जो शिक्षा, अनुसंधान और रोजगार के अवसरों को मजबूत करे। इस मिशन के तहत सरकार और निजी कंपनियां मिलकर शिक्षण संस्थानों में एआई तकनीकों के प्रयोग को प्रोत्साहित कर रही हैं।
कई शिक्षकों का मानना है कि एआई ने पढ़ाने के तरीके को अधिक रचनात्मक और व्यक्तिगत बना दिया है। छात्रों को अब विषयों को समझने के लिए रियल-टाइम सहायता, इंटरैक्टिव सिमुलेशन और डेटा-आधारित मूल्यांकन के अवसर मिल रहे हैं। उदाहरण के लिए, ग्रामीण स्कूलों में भी डिजिटल प्लेटफॉर्म के ज़रिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच आसान हुई है।
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हालांकि, इन प्रगतियों के बीच नैतिक चुनौतियाँ और डिजिटल असमानता बड़ी चिंताएं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि एआई टूल्स पर अत्यधिक निर्भरता से छात्रों की रचनात्मक सोच प्रभावित हो सकती है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और उपकरणों की कमी सीखने की प्रक्रिया को सीमित करती है।
इसलिए, शिक्षा विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि एआई का उपयोग “सहायक तकनीक” के रूप में किया जाए, न कि पारंपरिक शिक्षण का विकल्प बनाकर। लक्ष्य यह होना चाहिए कि तकनीक सीखने को गहराई दे, न कि मानवीय संवाद को कम करे।
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