अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए एनविडिया के साथ ऐसा समझौता किया है, जिसने न केवल दशकों पुरानी अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को बदल दिया है, बल्कि एक नई प्रकार की कॉर्पोरेट जोखिम श्रेणी भी पैदा कर दी है।
इस समझौते के तहत, एनविडिया को चीन में प्रतिबंधित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चिप्स के निर्यात की अनुमति दी जाएगी, बदले में कंपनी अपनी बिक्री का एक हिस्सा अमेरिकी सरकार को देगी। यह सौदा अमेरिका-चीन तकनीकी प्रतिस्पर्धा और भू-राजनीतिक तनाव के बीच आया है, जिसमें हाई-टेक उद्योग विशेष रूप से संवेदनशील है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम न केवल कॉर्पोरेट गवर्नेंस और व्यावसायिक स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी नए जोखिम पैदा कर सकता है। वर्षों से, अमेरिकी सरकार ने चीन को उन्नत तकनीक के निर्यात पर सख्त नियंत्रण बनाए रखा है, खासकर एआई और सेमीकंडक्टर जैसी संवेदनशील तकनीकों में।
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समझौते के आलोचकों का मानना है कि बिक्री का हिस्सा अमेरिकी सरकार को देने की शर्त एक खतरनाक मिसाल बन सकती है, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यावसायिक हित आपस में उलझ सकते हैं। इससे भविष्य में अन्य कंपनियां भी राजनीतिक या कूटनीतिक दबाव में ऐसे समझौते कर सकती हैं।
हालांकि, ट्रम्प प्रशासन के समर्थकों का कहना है कि यह सौदा अमेरिका के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी होगा और यह चीन के साथ तकनीकी बातचीत में leverage (प्रभाव) प्रदान करेगा।
यह कदम आने वाले वर्षों में अमेरिका की तकनीकी निर्यात नीति और कॉर्पोरेट-सरकारी संबंधों को गहराई से प्रभावित कर सकता है, जिससे वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में बड़े बदलाव संभव हैं।
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