फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की नई फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ रिलीज होते ही विवादों के केंद्र में आ गई है। इस फिल्म को लेकर आलोचकों का कहना है कि यह एक बार फिर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को हवा देने की कोशिश करती है।
फिल्म में जहां कलाकारों ने प्रभावशाली अभिनय किया है, वहीं इसकी पटकथा और निर्देशन को भड़काऊ बताया जा रहा है। कहानी कहने का तरीका ऐसा है जो दर्शकों की भावनाओं को उत्तेजित करता है और सांप्रदायिक तनाव को और गहरा करने का प्रयास करता है।
आलोचकों का मानना है कि फिल्म का मुख्य उद्देश्य कला या सामाजिक सच्चाई को प्रस्तुत करना नहीं, बल्कि एकतरफा दृष्टिकोण से राजनीतिक संदेश देना है। इसमें इतिहास और घटनाओं को इस तरह चित्रित किया गया है जिससे बहुसंख्यक वर्ग के बीच गुस्सा और असंतोष बढ़े। यही कारण है कि इसे “अनियंत्रित प्रोपेगेंडा” कहा जा रहा है।
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फिल्म समीक्षा में यह भी उल्लेख किया गया है कि ‘द बंगाल फाइल्स’ दर्शकों को सोचने-समझने की बजाय भावनाओं के उबाल में बहा देने का प्रयास करती है। दमदार अभिनय और तकनीकी मजबूती के बावजूद फिल्म का संदेश विभाजनकारी है।
यह फिल्म भारतीय सिनेमा में उस प्रवृत्ति का हिस्सा मानी जा रही है जहां राजनीतिक और सांप्रदायिक एजेंडा को फिल्मों के जरिए आगे बढ़ाया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि समाज पहले से ही तनावपूर्ण हालात से गुजर रहा है, ऐसे में इस तरह की फिल्में सांप्रदायिक सौहार्द को और नुकसान पहुंचा सकती हैं।
कुल मिलाकर, ‘द बंगाल फाइल्स’ मनोरंजन से अधिक विवाद और ध्रुवीकरण को जन्म देने वाली फिल्म साबित हो रही है।
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