बुधवार (31 दिसंबर 2025) को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 15 पैसे गिरकर 89.90 के स्तर पर आ गया। विदेशी फंडों की लगातार निकासी और घरेलू शेयर बाजार की सुस्त शुरुआत के कारण रुपये पर दबाव देखा गया।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भारतीय शेयर बाजार से लगातार पूंजी निकाल रहे हैं, जिसका असर पिछले कुछ महीनों से रुपये पर साफ नजर आ रहा है। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 89.89 पर खुला और कुछ ही देर में गिरकर 89.90 पर पहुंच गया, जो इसके पिछले बंद स्तर से 15 पैसे कमजोर है।
इससे पहले मंगलवार (30 दिसंबर) को रुपया 23 पैसे की मजबूती के साथ 89.75 पर बंद हुआ था। हालांकि, बुधवार को एक बार फिर उस पर दबाव बढ़ गया।
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फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा कि अमेरिका-भारत व्यापार को लेकर अनिश्चितताएं बनी हुई हैं और इस साल अब तक एफपीआई भारतीय शेयरों से लगभग 16.5 अरब डॉलर की निकासी कर चुके हैं। इससे आयातकों की मांग बढ़ी है और निर्यातकों में सतर्कता देखी जा रही है।
उन्होंने कहा कि महंगाई दर कम होने के कारण रुपये को ब्याज दरों से ज्यादा समर्थन नहीं मिल रहा है। रुपये में मजबूती तभी आ सकती है जब विदेशी निवेशकों की ओर से लगातार निवेश हो। दिन के कारोबार के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि आयातक गिरावट पर खरीदारी करें, जबकि निर्यातक 90.00 के आसपास ऊंचे स्तर पर बिक्री कर सकते हैं।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स 0.04 प्रतिशत की मामूली बढ़त के साथ 98.27 पर कारोबार कर रहा था। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 0.08 प्रतिशत की गिरावट के साथ 61.30 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।
घरेलू शेयर बाजार की बात करें तो सेंसेक्स 188.31 अंकों की बढ़त के साथ 84,863.39 पर खुला, जबकि निफ्टी 80.70 अंक चढ़कर 26,009.55 पर पहुंच गया। एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 3,844.02 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की।
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