भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 75 पैसे की मजबूत बढ़त दर्ज करते हुए 88.06 के स्तर पर बंद हुआ। यह सुधार उस समय आया जब पिछले सत्र में रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर 88.81 तक गिर गया था।
विदेशी मुद्रा बाजार (फॉरेक्स मार्केट) के जानकारों का कहना है कि रुपये में आई यह रिकवरी विदेशी पूंजी प्रवाह, निर्यातकों की डॉलर बिकवाली और वैश्विक बाजार में डॉलर की कमजोरी के कारण संभव हुई। इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता ने भी रुपये को सहारा दिया।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि घरेलू शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों की बिकवाली रुपये पर दबाव बनाए रख सकती है। एक्सचेंज डेटा के अनुसार, 14 अक्टूबर को विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारतीय इक्विटी बाजार में ₹1,508.53 करोड़ मूल्य के शेयर बेचे। इससे पहले लगातार कई दिनों से एफआईआई निवेशक भारतीय बाजार में बिकवाली कर रहे थे।
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ट्रेडर्स ने बताया कि सुबह के सत्र में रुपया कमजोर खुला था, लेकिन बाद में आयातकों की डॉलर बिकवाली और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट के चलते तेजी आई। वहीं, अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में भी गिरावट देखी गई, जिससे उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं को समर्थन मिला।
बाजार विशेषज्ञों का अनुमान है कि निकट भविष्य में रुपया 87.80 से 88.30 के दायरे में रह सकता है। वहीं, वैश्विक भू-राजनीतिक घटनाएं और अमेरिकी आर्थिक आंकड़े रुपये की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे।
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