यूरोपीय संघ (European Union) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने चेतावनी दी है कि यदि जलवायु परिवर्तन को लेकर त्वरित और सामूहिक कदम नहीं उठाए गए, तो भारत को 2070 तक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 24.7% तक की हानि झेलनी पड़ सकती है। यह चेतावनी ईयू की भारत में उप प्रमुख डॉ. ईवा सुवारा ने रीनेवेबल एनर्जी इंडिया (REI) एक्सपो और द बैटरी शो इंडिया (TBSI) 2025 में दी।
उन्होंने कहा कि “हरित ऊर्जा और स्वच्छ उद्योग अब केवल विकल्प नहीं बल्कि सतत भविष्य के लिए अनिवार्यता बन चुके हैं।” डॉ. सुवारा ने जोर दिया कि यूरोपीय संघ भारत के साथ अपनी साझेदारी को अत्यधिक महत्व देता है, क्योंकि दोनों क्षेत्र जलवायु स्थिरता को बढ़ावा देने, नवाचार को प्रोत्साहित करने और महत्वाकांक्षा को ठोस कार्यों में बदलने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
जर्मनी के भारत में राजदूत डॉ. फिलिप एकरमन ने भी कहा कि यूरोपीय निजी क्षेत्र सौर, पवन, बायोएनर्जी, स्टोरेज और ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक और विशेषज्ञता लेकर आया है, जबकि भारतीय उद्यम अपनी विस्तार क्षमता और गतिशीलता से इस साझेदारी को नई दिशा दे रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि वैश्विक जलवायु संकट का समाधान केवल सरकारों पर नहीं छोड़ा जा सकता; इसमें उद्योगों, तकनीकी विशेषज्ञों और नागरिक समाज की साझा भूमिका आवश्यक है।
भारत और यूरोपीय संघ के बीच ऊर्जा संक्रमण और जलवायु स्थिरता के लिए सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर इस सम्मेलन में सर्वसम्मति बनी।
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