प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती हथियारों की दौड़ के बीच जापान ने अपना एक बड़ा कदम उठाया है। जापान का युद्धपोत जेएस चोकाई, जो एजिस-युक्त गाइडेड-मिसाइल डेस्ट्रॉयर है, अमेरिका भेजा गया है। वहां यह जहाज एक साल तक तैनात रहेगा और इसे अमेरिकी टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों से लैस किया जाएगा। इन मिसाइलों की मारक क्षमता लगभग 1,000 मील है, जिससे चीन और उत्तर कोरिया के भीतर तक लक्ष्य साधे जा सकते हैं।
जापान ने 2024 की शुरुआत में अमेरिका से 400 टॉमहॉक खरीदने का समझौता किया था। यह सौदा टोक्यो की रक्षा खर्च बढ़ाने और क्षेत्रीय खतरों का सामना करने की रणनीति का हिस्सा है। जापान के रक्षा मंत्री ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह “सबसे जटिल सुरक्षा माहौल” है।
रक्षा मंत्रालय की जुलाई में जारी वार्षिक श्वेत पत्र में चीन की सैन्य गतिविधियों को जापान के लिए “सबसे बड़ा रणनीतिक खतरा” बताया गया है। बीजिंग न केवल अपनी क्षमता तेजी से बढ़ा रहा है बल्कि पूर्वी चीन सागर के विवादित सेनकाकू द्वीपों के पास गतिविधियाँ भी तेज कर रहा है।
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हाल ही में चीन ने सैन्य परेड में अपने शक्तिशाली एंटी-शिप मिसाइलों का प्रदर्शन किया, वहीं उत्तर कोरिया और रूस भी नए रक्षा समझौतों और परीक्षणों से दबाव बढ़ा रहे हैं। ऐसे में जापान ने स्पष्ट किया है कि उसकी आत्मरक्षा बलें लंबी दूरी तक दुश्मन को रोकने और नष्ट करने की क्षमता मजबूत कर रही हैं।
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