केंद्र सरकार का अगला राष्ट्रीय ड्रग उपयोग सर्वेक्षण (नेशनल ड्रग यूज़ सर्वे – NDUS) वर्ष 2026 तक आयोजित किया जाएगा, जिसमें देशभर के लगभग 20 लाख लोगों को शामिल किया जाएगा। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य राज्यों और जिलों के स्तर पर नशीले पदार्थों के उपयोग और उससे जुड़ी बीमारियों की स्थिति, सीमा और पैटर्न का आकलन करना है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
इस व्यापक सर्वेक्षण की रिपोर्ट वर्ष 2027 तक प्रकाशित होने की संभावना है। सर्वे के जरिए यह समझने की कोशिश की जाएगी कि देश के विभिन्न हिस्सों में लोग किस प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे हैं, उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि क्या है और इससे उनके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।
इस बार के सर्वेक्षण की सबसे अहम विशेषता यह है कि पहली बार इसमें “स्वदेशी या पारंपरिक नशीले पदार्थों के उपयोग” को भी दर्ज किया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, भारत में कई ऐसे समुदाय हैं जो स्थानीय रूप से उगाए गए या पारंपरिक तरीकों से तैयार किए गए पदार्थों का सेवन करते हैं। इन पदार्थों का उपयोग कई बार सामाजिक स्वीकृति और धार्मिक या सांस्कृतिक अनुष्ठानों से जुड़ा होता है।
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सरकारी अधिकारियों ने बताया कि इन स्वदेशी नशे के रूपों से जुड़े सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों का भी अध्ययन किया जाएगा। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि ऐसे पदार्थों का उपयोग किस हद तक हानिकारक है और किन समुदायों में यह प्रचलन अधिक है।
राष्ट्रीय ड्रग उपयोग सर्वेक्षण से नीति-निर्माताओं को नशा नियंत्रण, जनस्वास्थ्य कार्यक्रमों और पुनर्वास योजनाओं को बेहतर ढंग से तैयार करने में सहायता मिलेगी। साथ ही, यह सर्वे देश में नशे से जुड़ी समस्याओं की जमीनी हकीकत सामने लाने में अहम भूमिका निभाएगा, जिससे भविष्य की नीतियों को अधिक प्रभावी और क्षेत्र-विशेष के अनुरूप बनाया जा सकेगा।
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