जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 850 मेगावाट की रैटल जलविद्युत परियोजना में कथित हस्तक्षेप को लेकर भाजपा के एक विधायक पर लगे आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यदि उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के किसी मंत्री पर इस तरह का आरोप लगता, तो भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियां अब तक उसके खिलाफ छापेमारी कर चुकी होती।
यह प्रतिक्रिया उस घटना के कुछ दिनों बाद आई है, जब परियोजना से जुड़ी एक निर्माण कंपनी के शीर्ष अधिकारी ने आरोप लगाया था कि जम्मू से भाजपा का एक विधायक इस अहम परियोजना के कार्य में हस्तक्षेप कर रहा है। सोमवार को श्रीनगर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उमर अब्दुल्ला ने कहा कि विकास परियोजनाओं में किसी भी प्रकार का राजनीतिक दखल स्वीकार्य नहीं है और ऐसे मामलों को बेहद गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा, “इन परियोजनाओं में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। अगर कहीं ऐसा हो रहा है, तो जांच एजेंसियों को इस पर जरूर नजर डालनी चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि रैटल जैसी जलविद्युत परियोजनाएं सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनका सीधा संबंध राष्ट्रीय ऊर्जा जरूरतों से है।
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उमर अब्दुल्ला ने यह भी दोहराया कि उन्होंने पहले भी मांग की है कि वे संस्थान, जो पहले चुनी हुई सरकार के अधीन थे, उन्हें दोबारा राज्य सरकार को सौंपा जाए। उन्होंने कहा, “मैं खुद बिजली मंत्री हूं, लेकिन अब तक जम्मू-कश्मीर पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन हमें नहीं सौंपी गई है।”
उन्होंने इशारों में कहा कि जब जिम्मेदारियां स्पष्ट नहीं होंगी और संस्थानों पर निर्वाचित सरकार का नियंत्रण नहीं होगा, तब तक इस तरह के विवाद पैदा होते रहेंगे। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय एजेंसियों से अपील की कि वे आरोपों की निष्पक्ष जांच करें और यदि किसी स्तर पर गड़बड़ी पाई जाती है, तो सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
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