पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) की राजधानी मुज़फ़्फराबाद सहित कई जिलों में बीते दिनों से बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन जारी हैं। जम्मू कश्मीर संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (JKJAAC) की अगुवाई में शुरू हुआ यह आंदोलन पाकिस्तान सरकार के दमन और अनदेखी के खिलाफ है। मामला संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में भी उठाया गया, जहां पाकिस्तान पर गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया गया।
प्रदर्शनों की शुरुआत शांतिपूर्ण हड़ताल और बंद से हुई थी, लेकिन हालात तब बिगड़े जब विरोधी गुटों के बीच झड़पें हुईं। इस दौरान कम से कम तीन पुलिसकर्मियों की मौत हो गई और सौ से अधिक लोग घायल हुए। रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार ने स्थिति संभालने के लिए अतिरिक्त पुलिस और रेंजर्स को तैनात किया और कई इलाकों में फोन व इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं। JKJAAC ने 38 सूत्रीय मांगपत्र पेश किया है, जिसमें शरणार्थियों के लिए आरक्षित सीटें खत्म करना और विशेषाधिकारों को हटाना शामिल है।
अब पाकिस्तान सरकार वार्ता का प्रस्ताव रख रही है। केंद्रीय मंत्री तारिक फ़ज़ल चौधरी ने दावा किया कि 90% मांगें मान ली गई हैं। हालांकि, प्रदर्शनकारी तब तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दे रहे हैं, जब तक सभी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती। हालात सामान्य करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दबाव बढ़ रहा है।
और पढ़ें: अमेरिकी सरकार के शटडाउन के पहले दिन, रिपब्लिकन्स और डेमोक्रेट्स पर आरोप-प्रत्यारोप; पर्यटन स्थल बंद
और पढ़ें: पहलगाम हमले के बाद अन्य देशों के रुख से पता चला भारत के दोस्त कौन हैं: मोहन भागवत