संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान के तेल और पेट्रोकेमिकल व्यापार में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में कम से कम छह भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं। ये कंपनियां भारत की कुछ प्रमुख पेट्रोकेमिकल ट्रेडिंग फर्मों में शामिल हैं।
अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार (30 जुलाई, 2025) को यह कार्रवाई की घोषणा की। यह कदम 20 वैश्विक संस्थाओं को निशाना बनाने वाली व्यापक कार्रवाई का हिस्सा है। अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि इन भारतीय कंपनियों ने ईरानी पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद और विपणन में "महत्वपूर्ण लेनदेन" किए, जो ईरान पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन है।
प्रतिबंधों के तहत, इन भारतीय कंपनियों की अमेरिकी वित्तीय प्रणाली और बाजार तक पहुंच सीमित कर दी जाएगी। इसके अलावा, उनके अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश गतिविधियों पर भी नकारात्मक असर पड़ने की संभावना है।
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अमेरिका ने कहा कि यह कार्रवाई ईरान की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने और उसके तेल निर्यात को नियंत्रित करने के लिए की जा रही है। अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि ईरान से तेल व्यापार करने वाले देशों और कंपनियों पर सख्त कदम उठाना क्षेत्रीय स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन प्रतिबंधों से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ सकता है। भारत पहले भी कह चुका है कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों और आपूर्ति की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तेल आयात नीति तय करता है। आने वाले समय में इन प्रतिबंधों का असर भारत की ऊर्जा रणनीति और वैश्विक तेल बाजार पर देखने को मिल सकता है।
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