पश्चिम बंगाल की विपक्षी और क्षेत्रीय पार्टियों ने निर्वाचन आयोग द्वारा शुरू किए गए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया इतनी जल्दबाज़ी में की जा रही है कि इससे राज्य के कई कमजोर और वंचित तबकों के मतदाता सूची से नाम हटने का खतरा बढ़ गया है।
विपक्षी नेताओं का आरोप है कि इस संशोधन प्रक्रिया में आवश्यक दस्तावेज़ों की जांच और पुनः पंजीकरण के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया है। इसके कारण गरीब, अनाथ, प्रवासी मजदूर और वे लोग जिन्होंने बाढ़ या अन्य प्राकृतिक आपदाओं में अपने दस्तावेज खो दिए हैं, उन्हें मतदाता सूची से बाहर किए जाने का खतरा है।
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा कि “चुनाव आयोग को निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए। ऐसी जल्दबाजी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करती है।” वहीं, वामदलों और कांग्रेस ने भी इस प्रक्रिया की राजनीतिक मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कदम “सुनियोजित तरीके से मतदाताओं को वंचित करने का प्रयास” प्रतीत होता है।
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विश्लेषकों के अनुसार, SIR प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन करना है, लेकिन यदि पर्याप्त जांच और समय नहीं दिया गया, तो हजारों नागरिकों के मतदान अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।
राज्य निर्वाचन अधिकारी ने हालांकि स्पष्ट किया कि प्रक्रिया पारदर्शी होगी और सभी योग्य नागरिकों को पुनः पंजीकरण का अवसर दिया जाएगा।
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