तमिलनाडु एक बार फिर जातिगत नफरत से जुड़ी एक दर्दनाक घटना से दहल उठा है। हाल ही में तिरुनेलवेली जिले में हुई घटना में काविन सेल्वागनेश नामक एक युवक की हत्या उसकी प्रेमिका के भाई ने कर दी। मृतक काविन सेल्वागनेश चेन्नई की एक प्रतिष्ठित सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी में इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे और अनुसूचित जाति (SC) से ताल्लुक रखते थे, जबकि हत्यारा मोस्ट बैकवर्ड कास्ट (MBC) समुदाय से था।
इस हत्या ने राज्यभर में जातिगत घृणा से प्रेरित अपराधों को लेकर राजनीतिक और सामाजिक बहस को तेज कर दिया है। राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए विशेष कानून बनाने की जरूरत है।
अक्सर यह माना जाता है कि जातिगत हत्याएं केवल दूरदराज के गांवों या तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों में होती हैं, लेकिन यह धारणा गलत साबित हो रही है। शहरी इलाकों, खासकर चेन्नई जैसे महानगरों में भी जातिगत नफरत से प्रेरित हिंसक घटनाएं सामने आती रही हैं।
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14 साल पहले चेन्नई में भी एक ऐसी ही जातिगत हत्या ने पूरे राज्य को झकझोर दिया था। उस समय भी एक प्रेम संबंध में जाति को लेकर हुए विवाद ने जान ले ली थी। वर्तमान में काविन सेल्वागनेश की हत्या ने पुराने जख्मों को फिर से हरा कर दिया है और इस बात को उजागर किया है कि तमिलनाडु में जातिगत नफरत अभी भी गहरी जड़ें जमाए हुए है।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि जातिगत अपराधों से निपटने के लिए न केवल कानूनी ढांचा मजबूत करना जरूरी है, बल्कि समाज में जागरूकता और समानता की सोच को बढ़ावा देना भी उतना ही अहम है।
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