कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं ने शनिवार (27 दिसंबर 2025) को पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की एक महत्वपूर्ण बैठक में हिस्सा लिया। इस बैठक में देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा के साथ-साथ केंद्र सरकार द्वारा यूपीए सरकार के दौर की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (मनरेगा) को हटाकर लागू किए गए नए कानून ‘विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ अधिनियम यानी VB-G-RAM-G कानून के खिलाफ आगे की कार्रवाई पर विचार किया गया।
विस्तृत कांग्रेस कार्यसमिति की इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष व पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी शामिल हुए। इसके अलावा कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश जैसे कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी बैठक में मौजूद रहे। विभिन्न राज्यों के प्रदेश कांग्रेस कमेटियों (पीसीसी) के अध्यक्षों ने भी इस अहम बैठक में भाग लिया।
यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है, जब अगले साल असम, केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में पार्टी नेतृत्व आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए अपनी राजनीतिक और चुनावी रणनीति पर भी मंथन कर रहा है।
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कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने मनरेगा की जगह लाए गए नए कानून पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। उनका कहना है कि कानून के नाम से महात्मा गांधी का नाम हटाना राष्ट्रपिता का अपमान है। विपक्ष का आरोप है कि यह कदम गरीबों और ग्रामीण मजदूरों के हितों के खिलाफ है।
हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान VB-G-RAM-G विधेयक पारित किया गया था, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी भी मिल चुकी है। नया कानून हर ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में 125 दिनों के मजदूरी रोजगार की वैधानिक गारंटी देता है, लेकिन इसे पूरी तरह केंद्र प्रायोजित योजना के बजाय केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 के वित्तीय हिस्सेदारी मॉडल पर लागू करने का प्रावधान किया गया है।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सरकार के इस फैसले के खिलाफ आंदोलन और राजनीतिक रणनीति को अंतिम रूप देने पर चर्चा की।
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