दिल्ली ब्लास्ट मामले की जांच के दौरान राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को एक बड़ा सुराग मिला है। जांचकर्ताओं ने पाया कि जसिर बिलाल वानी, जिसे दानिश के नाम से भी जाना जाता है, ने हमास-शैली के हथियारबंद ड्रोन के सबूत अपने फोन से हटाने की कोशिश की थी, लेकिन विशेषज्ञों ने डिलीटेड फ़ोल्डर से सभी डेटा रिकवर कर लिया।
सूत्रों के अनुसार, दानिश के फोन से दर्जनों तस्वीरें और वीडियो बरामद हुए हैं, जिनमें ड्रोन, रॉकेट लॉन्चर और विस्फोटक लगाने के तरीकों के वीडियो शामिल हैं। इन सभी सामग्रियों को एक विशेष ऐप के माध्यम से दानिश को भेजा गया था, जिसमें कुछ विदेशी नंबर भी मिले हैं।
जांच में यह भी सामने आया है कि आतंकी मॉडल ऐसे मॉडिफाइड ड्रोन बना रहा था, जो 25 किलोमीटर तक उड़ान भर सकें। आरोपी इस तरह के ड्रोन पर भारी बैटरी और बड़े विस्फोटक लगाकर उन्हें weaponised ड्रोन में बदलने की कोशिश कर रहे थे।
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इंदोविंग्स कंपनी के सीईओ पारस जैन ने बताया कि यह मॉड्यूल हमास द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ग्लाइडिंग रॉकेट्स का अध्ययन कर रहा था। ये रॉकेट बेहद कम लागत वाले होते हैं और 20 सेकंड में एक तथा एक मिनट में तीन रॉकेट दागे जा सकते हैं। इनका उद्देश्य बड़े क्षेत्र में तेजी से नुकसान पहुंचाना होता है।
NIA के अनुसार, दानिश ड्रोन मॉडिफिकेशन में विशेषज्ञ है और आतंकी उमर यून नबी के साथ मिलकर बड़े हमले की योजना बना रहा था। उसे 17 नवंबर को श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया। बयान में कहा गया है कि वह अनंतनाग के काज़ीगुंड का रहने वाला है और हमले की साजिश में सक्रिय रूप से शामिल था।
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