मुंबई के वैनराई क्षेत्र में अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाने वाले एक कथित फर्जी कॉल सेंटर के दो मालिकों को स्थानीय मजिस्ट्रेट अदालत ने जमानत दे दी है। यह आदेश लगभग दो महीने बाद आया, जब इस कॉल सेंटर के कर्मचारियों को पहले ही जमानत मिल चुकी थी। जमानत पाने वाले दोनों आरोपी, दीपक मिश्रा और अर्पित शर्मा, पर आरोप है कि वे एक ऐसा कॉल सेंटर चला रहे थे, जहां से अमेरिकी नागरिकों को फोन किए जाते थे और उन्हें एंटीवायरस सब्सक्रिप्शन renewal के बहाने ठगा जाता था।
आरोप के अनुसार, आरोपी खुद को कंप्यूटर सपोर्ट एजेंट बताकर पीड़ितों को यह विश्वास दिलाते थे कि उनका एंटीवायरस सॉफ्टवेयर समाप्त होने वाला है। इसके बाद उनसे gift cards खरीदने के लिए कहा जाता था, जिन्हें बाद में आरोपी अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते थे। इस मामले को साइबर धोखाधड़ी के गंभीर उदाहरण के रूप में देखा जा रहा था, जिस पर अभियोजन पक्ष ने जोर दिया कि अपराध गंभीर nature का है और आरोपियों को जेल में ही रखा जाना चाहिए।
हालांकि, अदालत का मानना था कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए आरोपियों को लंबे समय तक हिरासत में रखना उचित नहीं है। अदालत ने कहा कि जांच काफी हद तक पूरी हो चुकी है और आरोपी सहयोग कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा करना न्याय के हित में है।
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इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि मुंबई और देश के अन्य हिस्सों में फर्जी कॉल सेंटरों का नेटवर्क कितना सक्रिय है, जो विदेशी नागरिकों को निशाना बनाकर लाखों रुपये की धोखाधड़ी अंजाम देते हैं। पुलिस इस नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने के लिए आगे की जांच जारी रखे हुए है।
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