केंद्रीय संचार मंत्रालय ने बुधवार (3 दिसंबर 2025) को स्मार्टफोनों में ‘संचार साथी’ ऐप की अनिवार्य प्री-इंस्टॉलेशन की अपनी हालिया योजना वापस ले ली। यह निर्णय तब लिया गया जब इस आदेश को डिजिटल अधिकार समूहों, तकनीकी विशेषज्ञों और विपक्षी पार्टियों द्वारा कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा।
संचार मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि ऐप को लेकर उपयोगकर्ताओं में बढ़ती स्वीकार्यता को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। मंत्रालय का दावा है कि ‘संचार साथी’ ऐप पहले ही लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर डाउनलोड किया जा रहा है, इसलिए इसे अनिवार्य बनाने की आवश्यकता नहीं महसूस हुई।
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (DoT) ने 1 दिसंबर को एक आदेश जारी किया था, जिसमें सभी मोबाइल निर्माताओं से कहा गया था कि मार्च 2026 से सभी स्मार्टफोनों में ‘संचार साथी’ को प्री-इंस्टॉल करना अनिवार्य होगा। सरकार ने इस आदेश का औचित्य बताते हुए कहा था कि नकली, डुप्लीकेट या स्पूफ्ड IMEI नंबर वाले फोन साइबर सुरक्षा और दूरसंचार नेटवर्क के लिए बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं, और ऐप इन जोखिमों को कम करने में मदद करता है।
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हालांकि, इस आदेश के खिलाफ व्यापक प्रतिक्रिया देखने को मिली। डिजिटल अधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता में अनावश्यक हस्तक्षेप बताया। विपक्षी दलों ने भी आरोप लगाया कि सरकार नागरिकों पर निगरानी बढ़ाने की कोशिश कर रही है और बिना सहमति के फोन में ऐप डालना लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है।
विवाद बढ़ने के बाद मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ‘संचार साथी’ ऐप वैकल्पिक रहेगा और उपयोगकर्ता अपनी आवश्यकता के अनुसार इसे डाउनलोड कर सकते हैं। सरकार ने यह भी दावा किया कि ऐप फोन ट्रैकिंग और सुरक्षा बढ़ाने में सहायक है, लेकिन इसे लोगों पर थोपने का इरादा नहीं है।
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