ईरान ने दो व्यक्तियों को फांसी दे दी, जिन पर देश के आधारभूत ढांचे को निशाना बनाने का आरोप था। मेहदी हसनी और बहरोज एहसानी-इस्लामलू, जो प्रतिबंधित संगठन मोजाहिदीन-ए-खल्क़ (MEK) के "सक्रिय सदस्य" बताए जा रहे हैं, को मौत की सजा दी गई थी। ईरान की सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले को बरकरार रखा।
ईरानी न्यायपालिका के अनुसार, दोनों अभियुक्तों ने देश के संवेदनशील क्षेत्रों में तोड़फोड़ और हमला करने की योजना बनाई थी। उन्हें "राष्ट्रीय सुरक्षा के विरुद्ध साजिश", "आतंकवादी गतिविधियों में भागीदारी", और "सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने" जैसे गंभीर आरोपों में दोषी ठहराया गया।
MEK, जो पहले ईरान में शहंशाही शासन के खिलाफ सक्रिय था, अब एक निर्वासित विपक्षी संगठन है और तेहरान इसे आतंकवादी समूह मानता है। संगठन ने खुद पर लगे आरोपों को निराधार बताया है और इस सजा को राजनीतिक प्रतिशोध बताया है।
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मानवाधिकार संगठनों ने इस फैसले की आलोचना की है। एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे संगठनों ने आरोप लगाया है कि ईरान में निष्पक्ष सुनवाई नहीं होती और यह सजा अत्यधिक कठोर है।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस कार्रवाई का उद्देश्य देश की सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखना है, ताकि राष्ट्रीय संपत्तियों और नागरिकों को आतंकी हमलों से बचाया जा सके।
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