दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के पास 10 मई को हुई कार विस्फोट की घटना को लेकर जांच तेज हो गई है। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह विस्फोट उसी आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा था जिसे कुछ दिन पहले ही पुलिस ने बेनकाब किया था। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूटान यात्रा से वापसी के कुछ घंटों बाद हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस घटना को “राष्ट्रविरोधी ताकतों द्वारा किया गया एक घृणित आतंकी कृत्य” करार दिया गया।
सरकार ने निर्देश दिया है कि इस जांच को “अत्यधिक तत्परता और पेशेवर तरीके” से आगे बढ़ाया जाए ताकि दोषियों, उनके सहयोगियों और प्रायोजकों की जल्द पहचान कर उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जा सके। मंत्रिमंडल ने इस “निरर्थक हिंसा के कार्य” की कड़ी निंदा की और पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी तथा उनके परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
सरकार ने दोहराया कि भारत आतंकवाद के प्रति अपनी “शून्य सहनशीलता” की नीति पर अडिग है और किसी भी रूप में आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा। इस बीच जांच एजेंसियों ने जम्मू-कश्मीर के तीन और डॉक्टरों से पूछताछ की है। जांच में सामने आया है कि उमर नामक युवक, जिसने आई-20 कार को लाल किले तक चलाया था, ने “स्पेक्टैकुलर” यानी “चौंकाने वाले” हमले की बात कही थी।
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यह विस्फोट राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा अलर्ट माना जा रहा है, क्योंकि राजधानी के हृदयस्थल में इस तरह की घटना देश की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है।
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