दादरी में मोहम्मद अखलाक की मॉब लिंचिंग को लगभग दस वर्ष बीत चुके हैं, और अब उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले में आरोपियों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की प्रक्रिया में जुट गई है। गौतम बुद्ध नगर के अतिरिक्त जिला सरकारी अधिवक्ता (ADGC) द्वारा स्थानीय अदालत में एक आवेदन दायर किया गया है, जिसमें आरोपियों पर से मुकदमा वापस लेने की अनुमति मांगी गई है।
सरकार की ओर से यह कार्रवाई 26 अगस्त 2025 को जारी एक आधिकारिक पत्र के आधार पर की गई। इस पत्र के अनुसार, राज्य सरकार ने दादरी कांड से जुड़े सभी आरोपियों के खिलाफ चल रही कानूनी कार्रवाई पर पुनर्विचार कर इसे वापस लेने का निर्देश दिया है।
सरकारी अधिवक्ता भग सिंह भाटी ने राज्य सरकार के निर्देशों के अनुपालन में यह आवेदन दाखिल किया। उन्होंने अदालत से निवेदन किया है कि चूंकि राज्य सरकार ने जांच और उपलब्ध प्रमाणों का मूल्यांकन कर लिया है, इसलिए मामले को आगे बढ़ाने का आधार अब नहीं बचता।
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2015 में हुए इस कांड ने देशभर में गहरी राजनीतिक और सामाजिक बहस को जन्म दिया था। मोहम्मद अखलाक को बीफ रखने की अफवाह के बाद भीड़ ने उनके घर पर हमला कर दिया था, जिसके बाद उनकी हत्या कर दी गई थी। यह घटना देशभर में मॉब लिंचिंग और सांप्रदायिक तनाव से जुड़े मुद्दों पर बहस का केंद्र बन गई थी।
अब, सरकार के इस कदम ने एक बार फिर उस बहस को जन्म दे दिया है कि क्या इस तरह के संवेदनशील मामलों में केस वापस लेना उचित है। पीड़ित परिवार और नागरिक समाज के कई वर्गों ने इस कदम पर सवाल उठाए हैं और इसे न्याय के खिलाफ बताया है।
अदालत में अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वह सरकार की इस मांग को स्वीकार करती है या नहीं, क्योंकि अंतिम निर्णय न्यायपालिका के हाथ में है।
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