असम के बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (BTR) से जुड़े संगठनों ने शुक्रवार (21 नवंबर 2025) को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देते हुए 2020 के बोडो शांति समझौते के समयबद्ध क्रियान्वयन की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने यह भी आग्रह किया कि केंद्र सरकार शीघ्र ही 125वां संविधान (संशोधन) विधेयक पारित करे, जो बोडो समुदाय से जुड़ी प्रशासनिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
यह विरोध दो दिवसीय “राष्ट्रीय आंदोलन” का हिस्सा था, जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र से आए कई संगठन और व्यक्तियों ने हिस्सा लिया। इस आंदोलन का नेतृत्व अखिल बोडो छात्र संघ (ABSU) ने किया, जिसके साथ यूनाइटेड बोरोज़ पीपल्स ऑर्गेनाइजेशन और Ex-NDBF वेलफेयर एसोसिएशन भी शामिल रहे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि 2020 के समझौते को लागू करने में देरी से क्षेत्र में विकास कार्य बाधित हो रहे हैं और लोगों में असंतोष बढ़ रहा है।
ABSU नेताओं ने कहा कि बोडो शांति समझौता न सिर्फ हिंसा समाप्त करने में महत्वपूर्ण था, बल्कि इसने लाखों लोगों को राजनीतिक स्थिरता और विकास का भरोसा भी दिया था। लेकिन कई वादे अब भी अधूरे पड़े हैं, जिनमें प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करना, क्षेत्रीय स्वायत्तता को बढ़ाना और बोडो भाषा व सांस्कृतिक संरक्षण से जुड़े बिंदु शामिल हैं।
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उनका कहना था कि केंद्र सरकार को जल्द से जल्द फैसले लेते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समझौते के सभी बिंदु लागू हों। साथ ही, 125वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित करके BTR के अधिकारों को संवैधानिक मजबूती दी जाए। प्रदर्शनकारी संगठनों ने चेतावनी दी कि यदि मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
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