बांग्लादेश में एक सरकारी वकील ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ मौत की सजा की मांग की है। यह मामला पिछले साल हुए एक बड़े विरोध आंदोलन से जुड़ा है, जिसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में हिंसा फैली और हजारों लोग प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई के दौरान मारे गए।
प्रोसेक्यूटर का दावा है कि इस मामले में शेख हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप है। विरोध प्रदर्शनों के दौरान हसीना सरकार के अनुचित और हिंसक कदमों के कारण बड़े पैमाने पर नुकसान और जनहानि हुई, जो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग का आधार बन रही है।
यह आंदोलन देश में राजनीतिक अस्थिरता और सत्ता संघर्ष का प्रतीक था। शेख हसीना को विरोध प्रदर्शनों और हिंसा के बढ़ते दबाव के कारण देश छोड़ना पड़ा था। बांग्लादेश की न्याय प्रणाली में यह मामला काफी संवेदनशील और विवादास्पद माना जा रहा है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम बांग्लादेश की राजनीतिक परिस्थितियों और न्यायिक प्रक्रिया पर वैश्विक नजर डालता है। पूर्व पीएम के खिलाफ मौत की सजा की मांग ने अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय राजनीतिक समुदाय में बहस छेड़ दी है।
इस मामले को लेकर देशभर में राजनीतिक दलों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की प्रतिक्रिया अलग-अलग रही। कुछ लोग इसे न्यायिक कार्रवाई मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा बता रहे हैं।
इस तरह के मामलों से यह स्पष्ट होता है कि बांग्लादेश में राजनीतिक हिंसा और अस्थिरता की जड़ें कितनी गहरी हैं और न्यायिक प्रक्रिया का असर देश की लोकतांत्रिक स्थिरता पर कितना बड़ा हो सकता है।
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