बिटकॉइन की कीमत शुक्रवार को गिरकर 96,800 डॉलर (लगभग ₹85.8 लाख) तक आ गई, क्योंकि वैश्विक क्रिप्टो बाजार एक बार फिर तेज बिकवाली और तरलता में भारी कमी के दबाव में है। 1,00,000 डॉलर के महत्वपूर्ण स्तर के नीचे फिसलने से बाजार में घबराहट बढ़ गई है। कम ट्रेड वॉल्यूम, लीवरेज्ड पोजीशन का खत्म होना और कमजोर संस्थागत निवेश ने बिटकॉइन की कीमत पर अतिरिक्त दबाव डाला है।
इथेरियम (ETH) में भी 24 घंटों में 10% से ज्यादा गिरावट आई और यह 3,100 डॉलर (लगभग ₹2.80 लाख) के पास ट्रेड हुआ। भारतीय बाजार में बिटकॉइन की कीमत करीब ₹71 लाख और इथेरियम की कीमत लगभग ₹2.3 लाख है।
ऑल्टकॉइन बाज़ार में भारी गिरावट
तरलता की कमी और बढ़ते जोखिम से बचाव की प्रवृत्ति ने प्रमुख ऑल्टकॉइन्स में भारी गिरावट ला दी।
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- Solana (SOL): 9.4% गिरकर 141.83 डॉलर
- XRP: 8.4% गिरकर 2.29 डॉलर
- BNB: 5.8% गिरकर 912.99 डॉलर
- Dogecoin: 7.4% गिरकर 0.1630 डॉलर
डेल्टा एक्सचेंज की रिसर्च एनालिस्ट रिया सेहगल ने बताया कि बिटकॉइन ऑन-चेन डेटा यह संकेत देता है कि लंबे समय के निवेशक मुनाफा वसूली कर रहे हैं, जो आम तौर पर बुल रन के अंतिम चरण में देखा जाता है। तकनीकी रूप से BTC अभी भी प्रमुख मूविंग एवरेज के नीचे ट्रेड कर रहा है, जिसमें 101,500–103,200 डॉलर पर तगड़ा रेजिस्टेंस और 98,500 डॉलर पर प्रमुख सपोर्ट मौजूद है।
Pi42 के CEO अविनाश शेखर ने कहा कि यह गिरावट सामान्य करेक्शन नहीं बल्कि बाजार की गहरी संरचनात्मक कमजोरी दिखाती है। उनके अनुसार, जब तक संस्थागत और खुदरा निवेशकों की भागीदारी नहीं बढ़ती, बाजार बेहद संवेदनशील रहेगा।
CoinSwitch के अनुसार, अमेरिकी सरकारी शटडाउन खत्म होने के बावजूद आर्थिक संकेतकों में देरी निवेशकों को सतर्क रख रही है। हालांकि, दिसंबर में फेडरल रिज़र्व द्वारा संभावित QE से बाजार में तरलता वापस आने की उम्मीद है।
बाजार इस बात पर नजर रखे हुए है कि क्या बिटकॉइन 96,800 डॉलर के समर्थन स्तर को बनाए रख पाता है और क्या वह फिर से 1,00,000 डॉलर का स्तर हासिल कर पाएगा।
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