अमेरिका में कंजरवेटिव खेमे के भीतर तनाव और बढ़ गया है। चार्ली किर्क की मौत के बाद, कई कंजरवेटिव नेता और कार्यकर्ता अब उन व्यक्तियों और संगठनों पर हमला कर रहे हैं, जिन्होंने उनके जीवनकाल या हालिया वक्तव्यों पर आलोचना की थी। उनका मानना है कि किर्क की आलोचना करने वालों ने न केवल उनकी छवि खराब की बल्कि उनके समर्थकों की भावनाओं को भी आहत किया।
कंजरवेटिव्स की मांग है कि जिन पत्रकारों, शिक्षाविदों और संगठनों ने किर्क की नीतियों और विचारों की आलोचना की थी, उन्हें सार्वजनिक मंचों से हटाया जाए या उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। कई कंजरवेटिव नेताओं ने सोशल मीडिया पर खुलेआम कहा है कि इन आलोचकों को “बहिष्कृत” या “नौकरी से निकाला” जाना चाहिए। इस माहौल ने अमेरिका में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम राजनीतिक दबाव की बहस को और गहरा कर दिया है।
किर्क, जो युवा कंजरवेटिव संगठन Turning Point USA से जुड़े हुए थे, रिपब्लिकन राजनीति में एक प्रभावशाली चेहरा माने जाते थे। उनकी अचानक मौत ने अमेरिकी राजनीति और कंजरवेटिव आंदोलन में हलचल पैदा कर दी। समर्थकों का कहना है कि उनकी विरासत और विचारों को अपमानित करने वाले किसी भी कदम को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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हालांकि, आलोचकों का तर्क है कि किर्क के विचारों और नीतियों पर असहमति जताना लोकतांत्रिक अधिकार है। उनका कहना है कि मौत के बाद भी किसी सार्वजनिक व्यक्ति की राजनीतिक विचारधारा की समीक्षा या आलोचना असंवेदनशील नहीं, बल्कि एक स्वस्थ बहस का हिस्सा है।
इस पूरे विवाद ने अमेरिका की पहले से ध्रुवीकृत राजनीति में और आग लगा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह ट्रेंड बढ़ता है तो मीडिया, शिक्षा और सार्वजनिक विमर्श पर गंभीर असर पड़ सकता है।
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