इंडिगो एयरलाइन द्वारा 2 दिसंबर 2025 से सैकड़ों उड़ानें रद्द किए जाने के बाद यात्रियों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। उड़ान रद्द करने के पीछे एयरलाइन ने पायलटों की फ्लाइट ड्यूटी और नियामक मानकों में हुए नए बदलावों को कारण बताया है। इस स्थिति ने न सिर्फ यात्रियों की यात्रा योजनाओं को प्रभावित किया है, बल्कि केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन मंत्रालय का भी ध्यान इस संकट की ओर गया है।
इसी मुद्दे को लेकर सोमवार (8 दिसंबर 2025) को दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें केंद्र सरकार और इंडिगो से प्रभावित यात्रियों को उचित रिफंड, सहायता और वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान करने के निर्देश देने की मांग की गई है। यह याचिका 10 दिसंबर 2025 (बुधवार) को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई है।
याचिका को मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेख किया गया। याचिकाकर्ता का कहना है कि अचानक उड़ान रद्द करने से हजारों यात्री फंस गए हैं, जिनमें से कई को आर्थिक नुकसान, आपातकालीन यात्रा बाधित होने और समय पर गंतव्य तक नहीं पहुँच पाने की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा है।
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याचिका में यह भी बताया गया है कि एयरलाइन द्वारा यात्रियों को पर्याप्त सूचना, वैकल्पिक उड़ान या उचित मुआवजा प्रदान नहीं किया गया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि सरकार इस संकट में हस्तक्षेप कर सभी प्रभावित यात्रियों को पारदर्शी रिफंड प्रणाली और आवश्यक सहायता सुनिश्चित करे।
सरकार पहले ही इंडिगो से विस्तृत रिपोर्ट मांग चुकी है और मामले की जांच चल रही है। कोर्ट का आगामी फैसला यात्रियों को बड़ी राहत प्रदान कर सकता है।
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