भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच 24 जुलाई, 2025 को व्यापक आर्थिक व्यापार समझौता (Comprehensive Economic and Trade Agreement - CETA) पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के तहत भारतीय वस्तुओं को ब्रिटिश बाजार में ड्यूटी-फ्री यानी बिना शुल्क के प्रवेश मिलेगा, जिससे भारत में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
इस समझौते का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें ‘रूल्स ऑफ ओरिजिन’ (Rules of Origin) पर एक अलग अध्याय शामिल किया गया है। यह अध्याय स्पष्ट करता है कि कौन-से उत्पाद इस समझौते के तहत मिलने वाले शुल्क छूट के पात्र होंगे। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वास्तविक रूप से भारत में निर्मित वस्तुएं ही लाभ प्राप्त करें और अन्य देशों से होकर आने वाले उत्पाद इसका अनुचित लाभ न उठा सकें।
सरकार का मानना है कि इस कर-मुक्त पहुंच से भारत के निर्यात को नई गति मिलेगी, खासकर कपड़ा, फार्मास्युटिकल, ऑटोमोबाइल और आईटी सेवाओं जैसे क्षेत्रों में। साथ ही, यूके से आने वाले निवेशकों के लिए भारत एक आकर्षक विनिर्माण गंतव्य बन सकता है, क्योंकि वे यहां से उत्पादन कर ड्यूटी-फ्री निर्यात कर सकेंगे।
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वाणिज्य मंत्रालय ने इसे एक ऐतिहासिक व्यापारिक कदम बताया है जो ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को मजबूती देगा और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा।
इस समझौते से भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में बेहतर एकीकरण का अवसर मिलेगा और लॉजिस्टिक्स, रोजगार तथा तकनीकी सहयोग के क्षेत्रों में भी लाभ की संभावना है।
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