कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी इंदरजीत गोसल को हाल ही में जमानत मिल गई है। गोसल पर आरोप है कि उसने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोवाल को धमकी दी। इस घटना ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों में गंभीर चिंता पैदा कर दी है।
गोसल ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि वह वकील सरबजीत पन्नून के समर्थन में काम कर रहा है। पन्नून विदेशों में खालिस्तानी आंदोलन के सक्रिय समर्थकों में शामिल हैं। गोसल की धमकी और उसके बयानों से यह स्पष्ट होता है कि वह भारत के खिलाफ हिंसक और भड़काऊ गतिविधियों में शामिल होने की योजना बना सकता है।
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि गोसल जैसे आतंकवादी विदेशों में कानूनी सुरक्षा का लाभ उठाकर भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दे सकते हैं। कनाडा में जमानत मिलने के बाद उसकी गतिविधियों पर नजर रखना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। इसके माध्यम से वह नेटवर्क के जरिए गलत सूचना फैलाने और धमकी देने में सक्षम हो सकता है।
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भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियां इस मामले पर गहरी नजर रख रही हैं। विदेशों में बैठे खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने की कोशिश की जा रही है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि भारत की सुरक्षा के खिलाफ किसी भी खतरे को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
गोसल की जमानत और धमकी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि खालिस्तानी आंदोलन अभी भी सक्रिय है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस चुनौती से निपटने के लिए सतर्कता, कड़ी निगरानी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है ताकि भारत में किसी प्रकार की सुरक्षा खामी न हो।
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