एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, यूनाइटेड किंगडम (यूके) में आने और वहां से जाने वाले गैर-यूरोपीय संघ (Non-EU) प्रवासियों में भारतीय सबसे बड़ी संख्या में शामिल हैं। हाल के वर्षों में भारतीय नागरिकों का ब्रिटेन की ओर बढ़ता रुझान यूके के उच्च शिक्षा, रोजगार के अवसरों और बेहतर जीवन स्तर से जुड़ा माना जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अध्ययन किए गए समय अवधि में लगभग 90,000 भारतीय नागरिक यूके में अध्ययन-संबंधी कारणों से पहुंचे, जो ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है। भारतीय छात्रों का यूके में स्थायी रूप से बढ़ता प्रवाह इस बात का संकेत है कि भारतीय युवा वैश्विक शिक्षा के क्षेत्र में नए अवसर खोजने को लेकर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
इसके अलावा, 46,000 भारतीय रोजगार-संबंधी कारणों से यूके पहुंचे, जिसमें आईटी, स्वास्थ्य सेवा, इंजीनियरिंग, वित्त और अन्य पेशेवर क्षेत्रों में अवसर शामिल हैं। ब्रिटेन की कुशल कार्यबल की आवश्यकता और भारतीय पेशेवरों की वैश्विक प्रतिष्ठा ने इस प्रवृत्ति को और मजबूत किया है।
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रिपोर्ट बताती है कि 9,000 भारतीय अन्य व्यक्तिगत या पारिवारिक कारणों से यूके आए, जिनमें आश्रित वीजा, परिवार पुनर्मिलन और अल्पकालिक प्रवास शामिल हैं।
यूके में भारतीय प्रवासियों की लगातार बढ़ती संख्या दोनों देशों के बीच मजबूत सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक संबंधों को दर्शाती है। साथ ही, यह भारत के वैश्विक टैलेंट हब बनने की दिशा में बढ़ते प्रभाव को भी रेखांकित करता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, ब्रेक्जिट के बाद यूके ने गैर-यूरोपीय देशों से प्रतिभाशाली प्रवासियों के लिए कई अवसर खोले हैं, जिसका सबसे अधिक लाभ भारतीय नागरिकों को मिला है। आने वाले वर्षों में यह प्रवृत्ति और बढ़ने की संभावना है।
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