इंडोनेशिया में हाल ही में हुए तीव्र विरोध प्रदर्शनों के बाद सरकार ने सांसदों को दिए जाने वाले विशेषाधिकारों को खत्म करने का निर्णय लिया है। राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने घोषणा की कि सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने इस फैसले पर सहमति व्यक्त की है।
देशभर में बीते कुछ दिनों से हो रहे प्रदर्शनों में कई लोगों की मौत हुई और सैकड़ों घायल हुए। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि सांसदों को मिल रहे अत्यधिक भत्ते और सुविधाएँ जनता के कर के पैसे की बर्बादी है, जबकि आम लोग महंगाई और आर्थिक असमानता से जूझ रहे हैं।
राष्ट्रपति प्रबोवो ने कहा कि सरकार जनता की आवाज सुनने के लिए प्रतिबद्ध है और इस कदम से जनता का विश्वास बहाल होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि सांसदों को मिलने वाले अनावश्यक भत्ते, विशेष यात्रा सुविधाएँ और अन्य विशेषाधिकार वापस ले लिए जाएंगे। यह निर्णय राजनीतिक दलों और सरकार के बीच हुई सहमति के बाद लिया गया।
और पढ़ें: अमित शाह ने अहमदाबाद में शहरी स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन किया, वृक्षारोपण अभियान में भी शामिल
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम न केवल प्रदर्शनकारियों के दबाव का परिणाम है, बल्कि सरकार की छवि सुधारने का प्रयास भी है। यह निर्णय इंडोनेशिया में व्याप्त जन असंतोष को शांत करने में मदद कर सकता है।
हालाँकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि केवल विशेषाधिकार खत्म करने से समस्याएँ हल नहीं होंगी, बल्कि आर्थिक सुधारों और पारदर्शिता के लिए व्यापक नीतिगत बदलाव भी जरूरी है।
और पढ़ें: बाइकबॉट घोटाला: ईडी ने ₹394.42 करोड़ की अतिरिक्त संपत्ति जब्त की