ईरान सरकार ने राजधानी तेहरान सहित कई शहरों में हुए प्रदर्शनों के बाद आंदोलनकारियों से संवाद करने की पेशकश की है। इन प्रदर्शनों की मुख्य वजह राष्ट्रीय मुद्रा रियाल के तेज़ी से गिरने से बढ़ी महंगाई और आम लोगों पर पड़े आर्थिक दबाव को बताया जा रहा है। हालात की गंभीरता के बीच ईरान के केंद्रीय बैंक प्रमुख ने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया है।
ईरानी सरकारी मीडिया के अनुसार, रविवार (28 दिसंबर 2025) और सोमवार (29 दिसंबर 2025) को तेहरान के प्रसिद्ध ग्रैंड बाजार के दुकानदारों सहित बड़ी संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किए। हाल के वर्षों में यह इस्लामिक गणराज्य में एक और बड़ा विरोध प्रदर्शन है, जहां समय-समय पर असंतोष की लहरें उठती रही हैं।
राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान ने सोमवार देर रात कहा कि उन्होंने गृह मंत्री से प्रदर्शनकारियों की “वैध मांगों” को ध्यानपूर्वक सुनने को कहा है। सरकार की प्रवक्ता फातेमेह मोहाजेरानी ने मंगलवार (30 दिसंबर 2025) को बताया कि सरकार संवाद के लिए एक औपचारिक तंत्र स्थापित करेगी, जिसमें प्रदर्शनकारियों के नेताओं से बातचीत शामिल होगी।
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उन्होंने कहा, “हम आधिकारिक तौर पर इन प्रदर्शनों को स्वीकार करते हैं। हम लोगों की आवाज़ सुन रहे हैं और समझते हैं कि यह उनके जीवन-यापन पर बढ़ते दबाव का स्वाभाविक परिणाम है।”
ईरानी रियाल पश्चिमी प्रतिबंधों के प्रभाव से लगातार कमजोर हो रहा है। खुले बाजार में सोमवार को यह गिरकर लगभग 13,90,000 रियाल प्रति अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। राष्ट्रपति पेज़ेश्कियान ने कहा कि सरकार मौद्रिक और बैंकिंग प्रणाली में सुधार के लिए ठोस कदम उठाएगी ताकि लोगों की क्रय शक्ति बनी रहे।
ईरान में 2022 में भी रोटी सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ने पर व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद 2023 में महसा अमीनी की मौत के बाद देश को वर्षों का सबसे बड़ा जनआंदोलन झेलना पड़ा था, जिसे सुरक्षा बलों ने सख्ती से दबाया था।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ईरान पर दबाव बना हुआ है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइल या परमाणु कार्यक्रम फिर शुरू किया तो इजरायल के हवाई हमलों का समर्थन किया जा सकता है। हालांकि ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है।
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