भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आने वाले वर्षों में बड़े पैमाने पर विस्तार की तैयारी कर रहा है। इसके अध्यक्ष वी. नारायणन ने बताया कि इसरो इस वित्त वर्ष में सात और लॉन्च करने जा रहा है, जबकि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ वर्ष 2027 में ही निर्धारित समय पर होगा। उन्होंने कहा कि इसरो विज्ञान, तकनीक और उद्योग क्षमता को तेज गति से बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।
नारायणन के अनुसार इसरो की योजना एक वाणिज्यिक संचार उपग्रह सहित कई PSLV और GSLV मिशनों को लॉन्च करने की है। इनमें से एक महत्वपूर्ण पड़ाव होगा—पूरी तरह भारतीय उद्योग द्वारा निर्मित पहला PSLV लॉन्च।
उन्होंने पुष्टि की कि सरकार ने चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी है। यह एक ‘लूनर सैंपल रिटर्न मिशन’ होगा, जो भारत का अब तक का सबसे जटिल चंद्र मिशन माना जा रहा है। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा से नमूने लेकर पृथ्वी पर वापस लाना है—यह क्षमता फिलहाल केवल अमेरिका, रूस और चीन के पास है।
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इसरो जापान की स्पेस एजेंसी JAXA के साथ संयुक्त मिशन LUPEX पर भी काम कर रहा है, जिसका लक्ष्य चंद्र दक्षिणी ध्रुव पर जल-बर्फ का अध्ययन करना है।
अगले तीन वर्षों में इसरो अपने अंतरिक्ष यान उत्पादन को तीन गुना करने की तैयारी में है, ताकि बढ़ती मिशन मांग को पूरा किया जा सके।
नारायणन ने बताया कि भारत 2035 तक अपना स्पेस स्टेशन तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। “पहला मॉड्यूल 2028 तक कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा”।
गगनयान मिशन के बारे में उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल अनक्रूड मिशनों की समयसीमा बदली है, जबकि मानव मिशन 2027 में ही होगा। इसके पहले तीन अनक्रूड परीक्षण उड़ानें होंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो को 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजकर सुरक्षित वापस लाने का लक्ष्य भी दिया है।
उन्होंने बताया कि भारत की स्पेस इकोनॉमी 2% से बढ़ाकर 8% करने का लक्ष्य है। अभी भारत का अंतरिक्ष बाजार 8.2 बिलियन डॉलर का है, जो 2033 तक 44 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
इसरो की सुधार नीतियों के बाद निजी क्षेत्र की भागीदारी भी तेजी से बढ़ी है, जिसमें 450 से अधिक उद्योग और 330 स्टार्टअप सक्रिय हैं।
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