केरल हाईकोर्ट ने KSRTC (Kerala State Road Transport Corporation) के एक ड्राइवर जैमोन जोसेफ के कोट्टायम से त्रिशूर स्थानांतरण को रद्द कर दिया है। यह निर्णय वाटर बॉटल विवाद के संदर्भ में आया, जिसमें ड्राइवर ने कथित अनुचित और मनमाने ट्रांसफर के खिलाफ याचिका दायर की थी।
न्यायमूर्ति एन. नागरेश की पीठ ने कहा कि यह स्थानांतरण केवल शक्तियों का गलत प्रयोग (colourable exercise of power) माना जा सकता है। अदालत ने कहा कि कर्मचारियों के हितों और उनके पारिवारिक जीवन को अनदेखा करके मनमाने निर्णय लेना उचित नहीं है। इस फैसले के साथ ही हाईकोर्ट ने जैमोन जोसेफ की याचिका को मंजूरी दे दी।
मामले के अनुसार, ड्राइवर को बिना किसी उचित कारण के कोट्टायम से त्रिशूर स्थानांतरित किया गया था। इससे न केवल उसकी नौकरी प्रभावित हुई, बल्कि उसके परिवार और व्यक्तिगत जीवन पर भी नकारात्मक असर पड़ा। अदालत ने स्पष्ट किया कि सरकारी कर्मचारियों के स्थानांतरण में न्यायसंगत प्रक्रिया और पारदर्शिता सुनिश्चित करना आवश्यक है।
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हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि कर्मचारी के अधिकार और गरिमा की रक्षा सर्वोपरि है। KSRTC प्रबंधन को निर्देश दिया गया कि भविष्य में किसी भी स्थानांतरण निर्णय को उचित कारणों और नियमों के अनुसार किया जाए।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला सरकारी कर्मचारियों के हितों और अधिकारों की रक्षा में एक महत्वपूर्ण मिसाल है। अदालत का यह निर्णय प्रशासनिक अनुचितताओं को रोकने और कर्मचारियों के प्रति न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में अहम कदम है।
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