माली में राजनीतिक असहमति पर कार्रवाई तेज हो गई है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री मूसा मारा को सैन्य सरकार ने उन आलोचकों का समर्थन करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है, जो पहले से ही जेल में बंद हैं। यह गिरफ्तारी माली में चार साल पहले सैन्य तख्तापलट के बाद हुई पहली pro-democracy रैली के तुरंत बाद हुई है।
सूत्रों के अनुसार, मूसा मारा ने हाल ही में सार्वजनिक रूप से उन राजनीतिक बंदियों के पक्ष में बयान दिया था, जो सैन्य शासन का विरोध कर रहे थे। सरकार का कहना है कि उनकी यह गतिविधि “राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा” है।
मानवाधिकार संगठनों और विपक्षी दलों ने इस गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है, इसे राजनीतिक दमन करार देते हुए कहा कि माली में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लगातार खतरे में है। पिछले कुछ महीनों में सैन्य जुंटा ने कई पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया है।
और पढ़ें: मेघालय में कोयला गायब होने की जांच शुरू, 3,960 मीट्रिक टन कोयला लापता
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस कार्रवाई से माली की लोकतांत्रिक बहाली की संभावना और भी कमजोर हो गई है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी सैन्य सरकार से असहमति की आवाज़ों को दबाने के बजाय संवाद का रास्ता अपनाने की अपील की है।
माली की मौजूदा सैन्य सरकार ने अगस्त 2020 में सत्ता संभाली थी और तब से लोकतांत्रिक चुनावों की बहाली को बार-बार टालती रही है।
और पढ़ें: तेलंगाना सरोगेसी घोटाला: बच्चा बेचने के गोरखधंधे का खुलासा