नेपाल की राजधानी काठमांडू में जनरेशन Z के प्रदर्शन दूसरे दिन भी थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। युवाओं ने कर्फ्यू की परवाह किए बिना विभिन्न हिस्सों में जुटकर सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश जताया। ये प्रदर्शन उस सामाजिक और राजनीतिक असंतोष का प्रतीक बन गए हैं जो लंबे समय से नेपाल में simmer कर रहा था।
प्रदर्शनकारियों ने कई वरिष्ठ नेताओं के घरों को निशाना बनाया, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और पुष्प कमल दहल (प्रचंड) के निवास भी शामिल हैं। यह घटनाक्रम सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है, क्योंकि कर्फ्यू लागू होने के बावजूद बड़ी संख्या में युवा सड़कों पर उतर आए।
प्रदर्शन का मूल कारण सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध बताया जा रहा है, जिसे युवा अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं। सोशल मीडिया को Gen Z पीढ़ी का सबसे प्रभावशाली मंच माना जाता है, और उस पर रोक से युवाओं में गहरा असंतोष फैल गया है।
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सरकार ने शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों को तैनात किया है और स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिशें जारी हैं। हालांकि, लगातार बढ़ती भीड़ और आक्रामक प्रदर्शनों ने इस आंदोलन को और गंभीर बना दिया है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह आंदोलन केवल सोशल मीडिया प्रतिबंध तक सीमित नहीं है, बल्कि यह युवाओं के भीतर लंबे समय से चल रहे राजनीतिक असंतोष और अवसरों की कमी का भी परिणाम है।
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