संसद ने ‘मर्चेंट शिपिंग विधेयक 2025’ को मंजूरी दे दी है। लोकसभा ने इस विधेयक को 6 अगस्त 2025 को पारित किया था, जिसके बाद राज्यसभा ने भी इसे मंजूरी दे दी। इस विधेयक का उद्देश्य समुद्री व्यापार और नौवहन से जुड़े मौजूदा कानूनी ढांचे को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार अद्यतन करना है।
‘मर्चेंट शिपिंग विधेयक 2025’ में जहाजों के पंजीकरण, समुद्री सुरक्षा, प्रदूषण नियंत्रण, नाविकों के अधिकार, और अंतरराष्ट्रीय समुद्री मानकों के अनुपालन से संबंधित प्रावधान शामिल हैं। यह विधेयक पुराने ‘मर्चेंट शिपिंग एक्ट 1958’ की जगह लेगा, जो अब तक भारत में समुद्री व्यापार को नियंत्रित करता था।
नए विधेयक के तहत जहाजों की सुरक्षा मानकों को मजबूत किया जाएगा और पर्यावरणीय सुरक्षा पर विशेष जोर दिया गया है। इसमें जहाजों द्वारा समुद्री प्रदूषण को रोकने के लिए कड़े प्रावधान हैं। इसके अलावा, नाविकों के कल्याण और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए भी विस्तृत नियम बनाए गए हैं।
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सरकार का कहना है कि यह विधेयक भारतीय समुद्री उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा और ‘ब्लू इकॉनमी’ के विकास में योगदान देगा। इसके माध्यम से विदेशी निवेश आकर्षित करने और भारत के बंदरगाहों से अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस कानून के लागू होने से न केवल भारत के समुद्री व्यापार में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ेगी, बल्कि यह देश को वैश्विक समुद्री परिवहन के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगा।
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