भारतीय जनता पार्टी (BJP) के भीतर चले संविधान क्लब ऑफ इंडिया को लेकर विवाद में सारण से सांसद राजीव प्रताप रूडी ने बाज़ी मार ली है। लंबे समय से इस प्रतिष्ठित संस्थान के प्रमुख रहे रूडी ने एक बार फिर अपने विरोधियों पर बढ़त बना ली।
रूडी पिछले लगभग पौने 25 साल से संविधान क्लब का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्हें क्लब को उसकी जर्जर स्थिति से उबारने और इसे संसदीय गतिविधियों व संवाद का सक्रिय केंद्र बनाने का श्रेय दिया जाता है। पार्टी के भीतर हाल के दिनों में क्लब के नियंत्रण को लेकर खींचतान बढ़ गई थी, जिसमें बीजेपी के कुछ धड़े उन्हें हटाना चाहते थे।
संविधान क्लब, जो सांसदों के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक और संवाद मंच है, लंबे समय तक निष्क्रिय और अव्यवस्थित रहा था। रूडी के नेतृत्व में इसके ढांचे और गतिविधियों में उल्लेखनीय सुधार हुआ। नए कार्यक्रम, सुविधाओं का विस्तार और बुनियादी ढांचे में बदलाव उनके प्रयासों का हिस्सा रहे हैं।
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हालिया संघर्ष में बीजेपी के भीतर ही अलग-अलग गुट आमने-सामने आ गए थे। यह लड़ाई केवल क्लब के नेतृत्व को लेकर नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर प्रभाव और प्रतिष्ठा की जंग मानी जा रही है। अंततः रूडी ने इस संघर्ष में जीत हासिल की और अपने पद को बरकरार रखा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह जीत न केवल रूडी के व्यक्तिगत प्रभाव को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि वे अभी भी पार्टी के एक प्रभावशाली और वरिष्ठ चेहरे बने हुए हैं।
संविधान क्लब के इस विवाद ने साफ कर दिया है कि पार्टी के भीतर संगठनात्मक शक्ति और व्यक्तिगत प्रतिष्ठा दोनों ही बड़े महत्व रखते हैं।
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