अमेरिका द्वारा रूस की प्रमुख तेल कंपनियों Rosneft और Lukoil पर लगाए गए हालिया प्रतिबंधों के बाद, भारत को रूसी यूरल्स (Urals) कच्चा तेल पिछले दो वर्षों में सबसे कम कीमत पर पेश किया जा रहा है। इस कदम ने रूस से तेल आयात के लंबे समय से चल रहे लाभकारी व्यापार समीकरण को बदलकर रख दिया है।
सूत्रों के अनुसार, दिसंबर में लोड होकर जनवरी में पहुंचने वाले कार्गो के लिए भारतीय रिफाइनरियों को यूरल्स तेल डेटेड ब्रेंट की तुलना में प्रति बैरल 7 डॉलर तक की भारी छूट पर उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रतिबंधों के लागू होने से पहले यह छूट लगभग 3 डॉलर प्रति बैरल थी।
पिछले सप्ताह अमेरिकी प्रतिबंध लागू होने के बाद अधिकांश भारतीय तेल कंपनियों ने रूसी तेल के नए सौदों से दूरी बना ली थी, क्योंकि Rosneft और Lukoil जैसे प्रमुख उत्पादक इस प्रतिबंध के दायरे में आ गए थे। 2022 में यूक्रेन युद्ध के बाद सस्ते तेल की उपलब्धता के कारण भारत रूस का सबसे बड़ा ग्राहक बन गया था।
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हालांकि, हाल ही में Urals की कीमतों में तेज गिरावट के कारण भारतीय रिफाइनरियों की सोच में बदलाव आया है। कुछ रिफाइनर अब गैर-प्रतिबंधित विक्रेताओं से रूसी तेल खरीदने पर विचार कर रहे हैं। लेकिन सूत्रों के अनुसार, बाजार में उपलब्ध केवल लगभग 20% कार्गो ही ऐसे विक्रेताओं के हैं जो अमेरिकी प्रतिबंध सूची में शामिल नहीं हैं।
अमेरिका के इन प्रतिबंधों ने पहले से मौजूद Gazprom Neft और Surgutneftegas पर लगाए गए प्रतिबंधों को और कड़ा कर दिया है। परिणामस्वरूप, भारतीय रिफाइनरियों ने हाल के दिनों में मध्य पूर्व समेत अन्य क्षेत्रों से तेल खरीदना बढ़ा दिया है। रूस का Urals मिश्रण मुख्य रूप से देश के पश्चिमी बंदरगाहों से भेजा जाता है।
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