सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार (13 दिसंबर, 2025) को एक कराटे प्रशिक्षक को बड़ी राहत देते हुए POCSO कानून के तहत दर्ज मामले में उसकी गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी। यह मामला प्रशिक्षक की एक पूर्व छात्रा द्वारा दर्ज कराया गया था। इससे पहले इस मामले में ट्रायल कोर्ट और उच्च न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत देने से इनकार किया जा चुका था।
न्यायमूर्ति संजय कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने केरल पुलिस को निर्देश दिया कि शीर्ष अदालत में अगली सुनवाई की तारीख 18 फरवरी, 2026 तक कराटे प्रशिक्षक को गिरफ्तार न किया जाए। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह संरक्षण अंतरिम है और मामले के तथ्यों व कानूनी पहलुओं की गहन जांच के बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा।
याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे और दुर्भावनापूर्ण हैं तथा मामला कई वर्षों पुराने घटनाक्रम से जुड़ा है। वकील ने अदालत को बताया कि आरोपी लंबे समय से कराटे सिखाने का कार्य कर रहा है और उसका सामाजिक व पेशेवर जीवन पूरी तरह प्रभावित हो रहा है। गिरफ्तारी होने की स्थिति में उसकी प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंच सकती है।
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वहीं, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि मामला POCSO अधिनियम के तहत गंभीर प्रकृति का है और जांच प्रक्रिया में आरोपी की भूमिका अहम है। अभियोजन पक्ष ने यह भी तर्क दिया कि कानून का उद्देश्य नाबालिगों को यौन अपराधों से सुरक्षा देना है और ऐसे मामलों में सख्त रुख अपनाया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह माना कि मौजूदा परिस्थितियों में आरोपी को अंतरिम संरक्षण दिया जाना उचित होगा। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि यह आदेश मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं है। अब इस मामले की विस्तृत सुनवाई 18 फरवरी, 2026 को की जाएगी।
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