दक्षिण कोरिया में बढ़ते औद्योगिक हादसों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। इसके चलते नए राष्ट्रपति ली जे-म्युंग ने देश के उन कार्यस्थलों को “मौत के केन्द्र” करार दिया है, जहां सुरक्षा मानकों की भारी कमी के कारण हर वर्ष सैकड़ों मजदूर अपनी जान गंवाते हैं। राष्ट्रपति स्वयं बाल मजदूर के तौर पर औद्योगिक दुर्घटनाओं का शिकार रह चुके हैं, इसलिए वह अब इन मौतों को रोकने के लिए कठोर कदम उठा रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के 2023 के आंकड़ों के अनुसार दक्षिण कोरिया में प्रति 1 लाख मजदूरों पर 3.9 मौतें होती हैं, जो OECD औसत 2.6 से काफी अधिक है। निर्माण क्षेत्र में स्थिति और भयावह है, जहां यह दर 15.9 तक पहुंच जाती है।
सरकार ने 2026 के बजट में औद्योगिक सुरक्षा पर खर्च बढ़ाया है और नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर उनके ऑपरेटिंग मुनाफे के 5% तक जुर्माना लगाने की योजना बनाई है। इसके अलावा कार्यस्थल सुरक्षा निरीक्षण, श्रमिक संरक्षण विस्तार और सब-कॉन्ट्रैक्टेड मजदूरों के लिए नए नियम लागू किए जा रहे हैं।
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हाल ही में कई हादसों—जैसे उल्सान पावर स्टेशन में ढांचा गिरने से 7 मजदूरों की मौत—ने सरकार को और सख्त बना दिया है। कई बड़ी कंपनियाँ जैसे POSCO, Hanwha Ocean और DL Construction ने हादसों के बाद प्रबंधन में बड़े बदलाव किए हैं, काम रोककर सुरक्षा उपाय लागू किए हैं।
हालाँकि आलोचकों का कहना है कि राष्ट्रपति के कदम “लोकलुभावन” हैं और कंपनियों पर अत्यधिक दबाव डालते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक बदलाव तभी आएगा जब कार्य संस्कृति और सुरक्षा को लेकर देश का नजरिया बदलेगा।
इसके बावजूद सरकार का दावा है कि यह अभियान केवल दंडात्मक नहीं, बल्कि निवारक भी है। पर वास्तविकता यह है कि पिछले पाँच वर्षों में औद्योगिक मौतें बढ़ी हैं, जिससे यह साबित होता है कि दक्षिण कोरिया को अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है।
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