श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपतियों और कई विपक्षी नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति रानील विक्रमसिंघे की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि सरकार इस कार्रवाई के माध्यम से “राजनीतिक प्रतिशोध” ले रही है।
पूर्व राष्ट्रपति समेत वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि विक्रमसिंघे के खिलाफ की गई कार्रवाई लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है। उन्होंने यह आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष की आवाज़ दबाने और राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग कर रही है।
कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि रानील विक्रमसिंघे का योगदान श्रीलंका की राजनीति में बेहद अहम रहा है और उनकी गिरफ्तारी न केवल अनुचित है, बल्कि देश की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी नुकसान पहुँचाएगी।
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पूर्व राष्ट्रपतियों ने सरकार को चेतावनी दी कि इस तरह की राजनीतिक बदले की नीति से समाज में अस्थिरता बढ़ेगी और लोकतांत्रिक संस्थाओं की साख को गहरी चोट पहुँचेगी। उन्होंने तत्काल विक्रमसिंघे की रिहाई की मांग की और कहा कि सरकार को राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने के बजाय देश की आर्थिक और सामाजिक समस्याओं के समाधान पर ध्यान देना चाहिए।
विपक्षी नेताओं ने यह भी कहा कि इस घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार आलोचनात्मक आवाज़ों को बर्दाश्त नहीं कर रही। अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी इस मामले पर ध्यान देने की अपील की गई है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम सरकार और विपक्ष के बीच टकराव को और बढ़ा सकता है तथा श्रीलंका की राजनीतिक स्थिति को और अस्थिर कर सकता है।
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