सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए असम पुलिस को पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन और अन्य पत्रकारों के खिलाफ किसी भी प्रकार की जबरन कार्रवाई करने से रोक दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने पारित किया।
वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने अदालत को बताया कि असम पुलिस सुप्रीम कोर्ट के पहले दिए गए आदेशों को दरकिनार कर पत्रकारों को परेशान कर रही है। इस पर अदालत ने पुलिस को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि वह न्यायालय के निर्देशों का पालन करे और किसी भी प्रकार की दमनात्मक कार्रवाई से बचे।
अदालत ने स्पष्ट किया कि पत्रकारों के खिलाफ जारी जांच या पूछताछ की प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। खंडपीठ ने यह भी कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा लोकतांत्रिक व्यवस्था की आधारशिला है और इसे किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं किया जा सकता।
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पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन सहित अन्य के खिलाफ असम पुलिस ने कथित तौर पर राज्य से जुड़े संवेदनशील मुद्दों पर रिपोर्टिंग के कारण मामले दर्ज किए थे। पत्रकारों ने आरोप लगाया कि पुलिस लगातार उन्हें तलब कर रही है और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेशों के बावजूद कार्रवाई की धमकी दे रही है।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद पत्रकारों को तत्काल राहत मिली है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं।
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